दीदी की चुदाई
मेरा नाम है विशाल।मैं इस समय 18 साल का हू। मैं बिहार का रहने वाला हू। आज मैं आपको अपने लाइफ का एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूं। यह सिर्फ़ 3 हफ्ते पहले की बात है। उस दिन मेरी छुट्टी थी कॉलेज में मैं घर पे था और मेरे मम्मी पापा मार्किट गए थे। मेरे घर मैं सिर्फ़ मैं अकेला था। तभी मा का फोन आया। उन्हो ने कहा की मेरे दादा जी की तबीयत खराब हो गयी है। इसलिए उन्हे घर आने तक रात हो सकती है। उन्हो ने ये भी कहा की रूपा दीदी शाम तक हमारे घर ही रहेंगी। इतना कह कर उन्हो ने फोन बंद कर दिया। असल मैं रूपा दीदी हमारे घर काम करने आती थी। वो उमर मैं मुझसे ज़्यादा बड़ी नही है। वो 27 साल की है।
अब दीदी के घर आने का टाइम हो गया था। थोड़ी देर मैं वो आ भी गयी। वो घर का सारा काम खत्म कर दी। उसके बाद हम दोनों बैठ गए और सोचने लगे की बाकी का टाइम कैसे काटेंगे। क्यूकी शाम होने मैं अभी 4 घंटे बाकी थे। दीदी ने कहा “विशाल, चलो टीवी देखते है।” मैने कहा ” ठीक है दीदी।”
“विशाल मैने तुम्हे कितनी बार कहा है की अगर कोई घर पे ना हो तो तुम मुझे मेरे नाम से बुलाया करो। मुझे यह दीदी-दीदी अच्छा नही लगता।”
“ठीक है रूपा ।”
वो हस्ते हुए टीवी चालू करने के बाद इंग्लीश फिल्म का चॅनेल लगा लिया। मैने चॅनेल की ऑडियो हिन्दी मैं चेंज की और मूवी देखने लग्गा। टीवी पर हमने थोड़ी देर देखी। तभी वाहंन पर सेक्स वाला सीन आने लगा था। मैने रूपा से रिमोट लिया और चेंज करने ही लगा था के तभी वो बोली”विशाल लगी रहने दो।”
“पर रूपा अब इस मे गंदा सीन आने वाला है।”
“तो क्या हुआ। तूने क्या कभी पहले देखा नही ऐसा कुच्छ?”
“नही।”
“तो अब देखले ना। इसमे कौनसा बुरी बात है। मैं तो बहूत पहले से ही ये सारे चीज़ देख रही हू। इस मे बहुत मज़्ज़ा आता है।”
“कैसा मज़्ज़ा?”
“तू सवाल मत पूछ बस देख।”
थोड़ी देर बाद वो सीन आ ही गया।हेरोयिन लड़के के उपर कूद रही थी और चीक रही थी।
“रुपा इस मैं कैसा मज़ा। लड़की तो चीख रही है।”
“अर्रे यही तो मज़ा होता है। जब लड़की की फुदी मैं लन्ड जाता तब यह चीक निकलती है। यह ख़ुशी की चीख होती है। जब लड़की की चूत से पानी निकलता है तब वो चीकती है।”
“फुदी, चूत – यह सब क्या बोल रही हो? मुझे कुछ समझ नही आ रहा।”
मैं थोडा अंजान बनने लगा।
“अरे विशाल तू तो भोला है। फुदी वो होती है जहाँ लन्ड अंदर जाता है। वो लंड होता है….”
ओर तभी उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा खड्डा लंड छू कर वो समझ गयी की मैं मज़ाक कर रहा था।
“विशाल तेरा तो खड्डा है। मुझसे झूठ क्यूँ बोला? अब मैं क्या करूँ? तेरे साथ बाते कर के तो मेरी कच्छी गिल्ली हो गयी है।”
“तो इस मे मैं क्या कारू?”
“अब तुम्हे मुझे चोदना होगा। तभी मेरा पानी बहना रुकेगा नही तो…” उसके इतना कहते ही मैने उसकी बात को बीच मैं से काट दिया और उसके ओढ़ चूमने लगा।
“इतनी जल्दी क्या है। आराम से करो। हमारे पास बहुत टाइम है।”
फिर हम 10 मीं तक एक दूसरे के होठ ही चूस्टे रहे।
थोड़ी देर बाद उसने अपनी कमीज़ उतरी और मेरे सामने बहूत ही खूबसूरत बूब मेरे सामने थे
“इतने बड़े!”
“लोहहहहह इन्हे चूसो ,मेरी चुचियाँ चूसो।”
मैं 15 मिनिट तक उसके बड़े बूब चूस्टा गया।
“रूपा, तुम आहहहहहहहह आहहहहहहह आहहहहहहहह उफ़ उफ़ क्यू कर रही हो?”
“विशाल चूचियाँ चूसवाने मैं बहूत मज़्ज़ा आता है। मैने एक बार ही चूस्वाई है। आच्छा तुम मुझे…आहहहहहहह….यह बताओ की क्या तुम ने किसी लड़की को कभी चोदा है?”
“नही।”
“मैने भी बस चूची ही चूस्वाए है।”
अब उसने अपनी सलवार नीचे करनी शूरू कर दी। उसने नीचे काले रंग की टाइट पेंटी पहनी थी जिस पर एक दाग था।
“अब तुम अपना लंड निकालो।”
जब मैने लंड निकाला तब उसने अचानक से चीख मारी।
“इतना बड्डा! कोई बात नही।”
फिर उसने अपना मूह मेरे लंड के उपर किया और उसे चुसने चाटने और चूमे लगी। मैने उसका सर अपने हाथों से नीचे किया।
“और अंदर मुह मे लंड घुसा दिया।”
वो 5 मिनिट तक चूस्टी ही रही। तभी मैने कहा,
“रूपा मेरा कुझ आने वाला है लंड से, रुक जाओ.”
पर वो नही रुकी। मैने ज़ोर से एक तेज़ धार उसके मूह मे चोद दिया और वो सारा माल अंदर निगल गयी।
“खट्टा था। पर स्वाद भी था। अब तुम मुझे चोद दो बस। मेरी फुदी बहूत तारप रही है।”
बस उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपना लंड उसके चूत पर घिसना शूरो किया।
“आ आआहहहहहह और अंदर और अंदर सस्सस्स ओह विशाल अयायायाया अयाया हहहहहहह। अब बस मुझे चोदो।”
मैने अपना लंड अंदर बाहर करना सुरु किया। उसने अपने मोम पाकर लिए और ज़ोर ज़ोर से चिल्लानने लगी।
“अयाहहहहहहह ओह सस्स्सस्स ओह ओह ओह हे भगवान। अया आह आह ससस्स.”
थोड़ी देर बाद मैं तेज़ हो गया और जल्दी जल्दी उसकी फुदी चोदने लगा। तभी उसकी चीखे तेज़ हो गयी।ओर सारा कमरा उसकी आवाज से गुंज रहा था।
“मैं चुद रही हो। अयाया मे मेरा झड़ने वाला। अयाया अयाया और चोदो विशाल! आहहहहहह! आहहहहहह! अयाहहहहहह! और वो झड़ गयी।पर मैं नही रुका। अब वो तड़प रही थी।
“अब रुक जाऊ। बा…बॅस करो।”
“बस मेरा भी छूटने वाला है रुक जाओ थोड़ी देर।”
10 मिनिट तक ओर चोदने के बाद मेरा भी जड़ गया। मैं उसके उपर गिर गया और उसे चूमने लगा। मेरा लंड अभी भी उसके अंदर था।
“विशाल एक नइई पोज़िशन ट्राइ करते है। ये वैसी है जैसी फिल्म मे थी बस थोड़ी सी अलग है।”
मैं मान गया।
“विशाल अब तुम खरे हो जाओ हा बस ऐसे ही।”
वो मेरे पास आई और अपनी फुदी मैं मेरा लंड ले लिया। उसने हाथ मेरी गर्दन से लपेट लिए और टाँगे मेरे चित्टरों के साथ. एब्ब मैं उसे और उसके मोम चूस सकता था। वो अंदर बाहर करने लगी। मैं बूब चूस्टा रहा। 15 मिनिट बाद हम दोनो ने अपना माल छोड दिया। हम बिस्तर पर गिर गये।
“रूपा तुमने तो कहा था की तुम कभी किसी से नही चुदी । फिर तुमही फुदी इतनी खुली कैसे?”
“असल मैं घर पर मैं अपने आप को वाइपर से चोदती हू। इसीलिए”
तभी मेरे दिमाग़ मैं एक आइडिया आया। मैं बातरूम गया और वाइपर ले आया।
“रूपा तुम हाथ और पाओ के बल लेट जाओ।”
उसने ऐसा ही किया। अब मैं उसके नीचे लेट गया और अपना लंड उसके अंदर दे दिया। फिर मैने वाइपर उसकी टाइट बॉन्ड मैं दे दिया.
“अयायाहहहहहह उहू सस्सस्स ।”
अब मैं वाइपर उसके अंदर घुसाने लगा और वो अपनी फुदी मेरे लंड पे अंदर बाहर करने लगी। मैं उसके मोम चूसने लगा। हम आधे घंटे तक ऐसे ही चोदते रहे। फिर हम दोनो एक साथ झार गये। फिर क्या था वो जब भी काम करने आती थी, बहूत मज़े करता था, कई बार मैं बातरूम मे चोदा कई बार उपर वाले कमरे मे कई बार बूब दबा के ही संतोष करना पड़ता था क्यों की मेरे मम्मी और पापा घर पर ही थे।
अब दीदी के घर आने का टाइम हो गया था। थोड़ी देर मैं वो आ भी गयी। वो घर का सारा काम खत्म कर दी। उसके बाद हम दोनों बैठ गए और सोचने लगे की बाकी का टाइम कैसे काटेंगे। क्यूकी शाम होने मैं अभी 4 घंटे बाकी थे। दीदी ने कहा “विशाल, चलो टीवी देखते है।” मैने कहा ” ठीक है दीदी।”
“विशाल मैने तुम्हे कितनी बार कहा है की अगर कोई घर पे ना हो तो तुम मुझे मेरे नाम से बुलाया करो। मुझे यह दीदी-दीदी अच्छा नही लगता।”
“ठीक है रूपा ।”
वो हस्ते हुए टीवी चालू करने के बाद इंग्लीश फिल्म का चॅनेल लगा लिया। मैने चॅनेल की ऑडियो हिन्दी मैं चेंज की और मूवी देखने लग्गा। टीवी पर हमने थोड़ी देर देखी। तभी वाहंन पर सेक्स वाला सीन आने लगा था। मैने रूपा से रिमोट लिया और चेंज करने ही लगा था के तभी वो बोली”विशाल लगी रहने दो।”
“पर रूपा अब इस मे गंदा सीन आने वाला है।”
“तो क्या हुआ। तूने क्या कभी पहले देखा नही ऐसा कुच्छ?”
“नही।”
“तो अब देखले ना। इसमे कौनसा बुरी बात है। मैं तो बहूत पहले से ही ये सारे चीज़ देख रही हू। इस मे बहुत मज़्ज़ा आता है।”
“कैसा मज़्ज़ा?”
“तू सवाल मत पूछ बस देख।”
थोड़ी देर बाद वो सीन आ ही गया।हेरोयिन लड़के के उपर कूद रही थी और चीक रही थी।
“रुपा इस मैं कैसा मज़ा। लड़की तो चीख रही है।”
“अर्रे यही तो मज़ा होता है। जब लड़की की फुदी मैं लन्ड जाता तब यह चीक निकलती है। यह ख़ुशी की चीख होती है। जब लड़की की चूत से पानी निकलता है तब वो चीकती है।”
“फुदी, चूत – यह सब क्या बोल रही हो? मुझे कुछ समझ नही आ रहा।”
मैं थोडा अंजान बनने लगा।
“अरे विशाल तू तो भोला है। फुदी वो होती है जहाँ लन्ड अंदर जाता है। वो लंड होता है….”
ओर तभी उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। मेरा खड्डा लंड छू कर वो समझ गयी की मैं मज़ाक कर रहा था।
“विशाल तेरा तो खड्डा है। मुझसे झूठ क्यूँ बोला? अब मैं क्या करूँ? तेरे साथ बाते कर के तो मेरी कच्छी गिल्ली हो गयी है।”
“तो इस मे मैं क्या कारू?”
“अब तुम्हे मुझे चोदना होगा। तभी मेरा पानी बहना रुकेगा नही तो…” उसके इतना कहते ही मैने उसकी बात को बीच मैं से काट दिया और उसके ओढ़ चूमने लगा।
“इतनी जल्दी क्या है। आराम से करो। हमारे पास बहुत टाइम है।”
फिर हम 10 मीं तक एक दूसरे के होठ ही चूस्टे रहे।
थोड़ी देर बाद उसने अपनी कमीज़ उतरी और मेरे सामने बहूत ही खूबसूरत बूब मेरे सामने थे
“इतने बड़े!”
“लोहहहहह इन्हे चूसो ,मेरी चुचियाँ चूसो।”
मैं 15 मिनिट तक उसके बड़े बूब चूस्टा गया।
“रूपा, तुम आहहहहहहहह आहहहहहहह आहहहहहहहह उफ़ उफ़ क्यू कर रही हो?”
“विशाल चूचियाँ चूसवाने मैं बहूत मज़्ज़ा आता है। मैने एक बार ही चूस्वाई है। आच्छा तुम मुझे…आहहहहहहह….यह बताओ की क्या तुम ने किसी लड़की को कभी चोदा है?”
“नही।”
“मैने भी बस चूची ही चूस्वाए है।”
अब उसने अपनी सलवार नीचे करनी शूरू कर दी। उसने नीचे काले रंग की टाइट पेंटी पहनी थी जिस पर एक दाग था।
“अब तुम अपना लंड निकालो।”
जब मैने लंड निकाला तब उसने अचानक से चीख मारी।
“इतना बड्डा! कोई बात नही।”
फिर उसने अपना मूह मेरे लंड के उपर किया और उसे चुसने चाटने और चूमे लगी। मैने उसका सर अपने हाथों से नीचे किया।
“और अंदर मुह मे लंड घुसा दिया।”
वो 5 मिनिट तक चूस्टी ही रही। तभी मैने कहा,
“रूपा मेरा कुझ आने वाला है लंड से, रुक जाओ.”
पर वो नही रुकी। मैने ज़ोर से एक तेज़ धार उसके मूह मे चोद दिया और वो सारा माल अंदर निगल गयी।
“खट्टा था। पर स्वाद भी था। अब तुम मुझे चोद दो बस। मेरी फुदी बहूत तारप रही है।”
बस उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपना लंड उसके चूत पर घिसना शूरो किया।
“आ आआहहहहहह और अंदर और अंदर सस्सस्स ओह विशाल अयायायाया अयाया हहहहहहह। अब बस मुझे चोदो।”
मैने अपना लंड अंदर बाहर करना सुरु किया। उसने अपने मोम पाकर लिए और ज़ोर ज़ोर से चिल्लानने लगी।
“अयाहहहहहहह ओह सस्स्सस्स ओह ओह ओह हे भगवान। अया आह आह ससस्स.”
थोड़ी देर बाद मैं तेज़ हो गया और जल्दी जल्दी उसकी फुदी चोदने लगा। तभी उसकी चीखे तेज़ हो गयी।ओर सारा कमरा उसकी आवाज से गुंज रहा था।
“मैं चुद रही हो। अयाया मे मेरा झड़ने वाला। अयाया अयाया और चोदो विशाल! आहहहहहह! आहहहहहह! अयाहहहहहह! और वो झड़ गयी।पर मैं नही रुका। अब वो तड़प रही थी।
“अब रुक जाऊ। बा…बॅस करो।”
“बस मेरा भी छूटने वाला है रुक जाओ थोड़ी देर।”
10 मिनिट तक ओर चोदने के बाद मेरा भी जड़ गया। मैं उसके उपर गिर गया और उसे चूमने लगा। मेरा लंड अभी भी उसके अंदर था।
“विशाल एक नइई पोज़िशन ट्राइ करते है। ये वैसी है जैसी फिल्म मे थी बस थोड़ी सी अलग है।”
मैं मान गया।
“विशाल अब तुम खरे हो जाओ हा बस ऐसे ही।”
वो मेरे पास आई और अपनी फुदी मैं मेरा लंड ले लिया। उसने हाथ मेरी गर्दन से लपेट लिए और टाँगे मेरे चित्टरों के साथ. एब्ब मैं उसे और उसके मोम चूस सकता था। वो अंदर बाहर करने लगी। मैं बूब चूस्टा रहा। 15 मिनिट बाद हम दोनो ने अपना माल छोड दिया। हम बिस्तर पर गिर गये।
“रूपा तुमने तो कहा था की तुम कभी किसी से नही चुदी । फिर तुमही फुदी इतनी खुली कैसे?”
“असल मैं घर पर मैं अपने आप को वाइपर से चोदती हू। इसीलिए”
तभी मेरे दिमाग़ मैं एक आइडिया आया। मैं बातरूम गया और वाइपर ले आया।
“रूपा तुम हाथ और पाओ के बल लेट जाओ।”
उसने ऐसा ही किया। अब मैं उसके नीचे लेट गया और अपना लंड उसके अंदर दे दिया। फिर मैने वाइपर उसकी टाइट बॉन्ड मैं दे दिया.
“अयायाहहहहहह उहू सस्सस्स ।”
अब मैं वाइपर उसके अंदर घुसाने लगा और वो अपनी फुदी मेरे लंड पे अंदर बाहर करने लगी। मैं उसके मोम चूसने लगा। हम आधे घंटे तक ऐसे ही चोदते रहे। फिर हम दोनो एक साथ झार गये। फिर क्या था वो जब भी काम करने आती थी, बहूत मज़े करता था, कई बार मैं बातरूम मे चोदा कई बार उपर वाले कमरे मे कई बार बूब दबा के ही संतोष करना पड़ता था क्यों की मेरे मम्मी और पापा घर पर ही थे।
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